संसार के गुरु हैं हम

सुधारों के लिए जो भी आंदोलन हुए हैं, उनमें से अधिकांश दिखावा मात्र रहे हैं। उन्होंने केवल प्रथम दो वर्णों ही से संबंध रखा है, शेष दो से नहीं। विधवा-विवाह के प्रश्न से सत्तर प्रतिशत भारतीय स्त्रियों का कोई संबंध नहीं है और इस प्रकार के सब आंदोलनों का संबंध भारत के उच्च वर्गों ही से रहा है, जो जनसाधारण का तिरस्कार कर स्वयं शिक्षित हुए हैं।


स्वामी विवेकानंद
इन लोगों ने अपने-अपने घर को साफ करने एवं अंग्रेजों के सम्मुख अपने को सुन्दर दिखाने ही में कोई कसर बाकी नहीं रखी पर यह तो सुधार नहीं कहा जा सकता। सुधार करने में हमें चीज के भीतर उसकी जड़ तक पहुंचना होता है। आग जड़ में लगाआ॓ और उसे क्रमश: ऊपर उठने दो एवं एक अखंड भारतीय राष्ट्र संगठित करो।
अपने जीवन के महान व्रत को याद रखो। हम भारतवासी बहुत परिमाण में विदेशी भावों से आक्रान्त हो रहे हैं, जो हमारे जातीय धर्म की सम्पूर्ण जीवन शक्ति को चुका डालते हैं। हम आज इतने पिछड़े हुए क्यों हैं? क्यों हममें से निन्यानवे फीसद आदमी सम्पूर्णत: पाश्चात्य भावों और उपादानों से विनिर्मित हो रहे हैं? अगर हम लोग राष्ट्रीय गौरव के उच्च शिखर पर आरोहण करना चाहते हैं तो हमें इस विदेशी भाव को दूर फेंक देना होगा, साथ ही यदि हम ऊपर चढ़ना चाहते हैं तो हमें यह भी याद रखना होगा कि हमें पाश्चात्य देशों से बहुत कुछ सीखना बाकी है। पाश्चात्य देशों से हमें उनका शिल्प और विज्ञान सीखना होगा, उनके यहां के भौतिक विज्ञानों को सीखना होगा और उधर पाश्चात्य देशवासियों को हमारे पास आकर धर्म और अध्यात्म-विघा की शिक्षा ग्रहण करनी होगी।
हमको विश्वास करना होगा कि हम संसार के गुरू हैं। हम यहां पर राजनीतिक अधिकार तथा इसी प्रकार की अन्य बातों के लिए चिल्ला रहे हैं। अच्छी बात है, परन्तु अधिकार और सुभीते केवल मित्रता के द्वारा ही प्राप्त हो सकते हैं और मित्रता की आशा वहीं की जा सकती है, जहां दोनों पक्ष समान होते हैं। यदि एक पक्ष वाला जीवन-भर भीख मांगता रहे तो क्या यहां पर मित्रता स्थापित हो सकती है? ये सब बातें कह देना बहुत आसान है, पर मेरा तात्पर्य यह है कि पारस्परिक सहयोग के बिना हम लोग कभी शक्ति सम्पन्न नहीं हो सकते। इसीलिए मैं तुम लोगों को धर्माचार्य के रूप में इंग्लैंड जाने को कह रहा हूं। हमें अपने सामर्थ्य के अनुसार विनिमय का प्रयोग करना होगा। यदि हमें इस लोक में सुखी रहने के उपाय सीखने हैं, तो हम भी उसके बदले में क्यों न उन्हें अनन्त काल तक सुखी रहने के उपाय बताएं।

कोई टिप्पणी नहीं: