राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने एक बार फिर यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को निशाने पर लिया है। संघ ने आरोप लगाया है कि यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी अपने सार्वजनिक जीवन को लेकर बहुत अधिक रहस्यात्मक हैं। वह देश की जनता से तमाम तरह की जानकारियां छुपाती आ रही हैं।
संघ ने आरोप लगाया कि तानाशाही और अलोकतांत्रिक मानसिकता की वजह से सोनिया जनता से अपना धर्म, बीमारी और इनकम टैक्स संबंधी जानकारी छुपाती रही हैं। आरएसएस का कहना है कि उन्होंने गैर-लोकतांत्रिक तरीके से राष्ट्रीय सलाहाकार परिषद (एनएसी) जैसे समानांतर सत्ता का केन्द्र बनाया है।
आरएसएस के हिन्दी और अंग्रेजी में छपने वाले मुखपत्रों 'पांचजन्य' व 'ऑर्गनाइजर' के ताजा अंकों में सोनिया पर ये आरोप लगाए गए हैं।
पांचजन्य के संपादकीय में कहा गया है कि राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के जरिए सोनिया साम्प्रदायिक व लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक जैसे काले कानून का प्रारूप तैयार कराके विधायी प्रक्रिया में असंवैधानिक हस्तक्षेप करने जैसी हिमाकत कर रही हैं।
इसमें सवाल किया गया है कि क्या देश कांग्रेस की जागीर है जो उसके राजनीतिक हितों, सत्ता स्वार्थों व मंसूबों के हिसाब से चलाया जाएगा? उधर ऑर्गनाइज़र के लेख में आरोप लगाया गया है कि सोनिया अपने सार्वजनिक जीवन को लेकर बहुत अधिक रहस्यात्मक हैं।
इसमें कहा गया है, 'सोनिया गांधी ने पहले अपने धर्म को छिपाया, फिर संबंधियों को छिपाया और अब अपनी बीमारी को। वह लगातार इन सब जानकारियों को देश की जनता से छुपाती आ रही हैं।'
लेख में कहा गया है कि इस छिपाने और गोपनीयता बरतने की कांग्रेस अध्यक्ष की आदत का सबसे ताजा उदाहरण पिछले दस साल की अपनी इनकम टैक्स की जानकारी देने से इनकार करना है। ऑर्गनाइजर में दावा किया गया है कि सोनिया ने प्रिवेसी और सिक्युरिटी के नाम पर उनके द्वारा पिछले 10 सालों में दिए गए इनकम टैक्स की जानकारी देने से इनकार कर दिया।
इसमें कहा गया है कि इससे पहले उन्होंने अपने धर्म की जानकारी देने से यह कहकर इनकार कर दिया था कि यह उनका निजी मामला है जिसे वह सार्वजनिक नहीं करना चाहेंगी। ऑर्गनाइजर ने कहा है कि सभी सरकारी कागजातों और फॉर्मों में यह जानकारी देना जरूरी होने के बावजूद सोनिया इससे बचती आईं।
संघ ने दावा किया है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने अपनी शैक्षिक योग्यता को भी 'अति गोपनीय' बना कर छिपाया हुआ है। हाल ही में उनकी बीमारी और विदेश में इलाज के बारे में लेख में कहा गया है, 'सोनिया जब बीमार हुईं और सरकारी खर्चे पर इलाज के लिए विदेश गईं तो भी 'निजता का सम्मान' किए जाने के नाम पर उन्होंने बीमारी के बारे में देश को कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।
इसमें कहा गया है कि अगर उनके इलाज पर सरकारी पैसा खर्च हुआ है तो देश की जनता को यह जानने का हक है कि इसमें कितना सार्वजनिक धन लगा और क्यों लगा? जनता को यह जानने का भी अधिकार है कि जिस बीमारी का इलाज कराने वह विदेश गईं, क्या उसके इलाज की सुविधा देश में नहीं थी?
संघ ने आरोप लगाया कि तानाशाही और अलोकतांत्रिक मानसिकता की वजह से सोनिया जनता से अपना धर्म, बीमारी और इनकम टैक्स संबंधी जानकारी छुपाती रही हैं। आरएसएस का कहना है कि उन्होंने गैर-लोकतांत्रिक तरीके से राष्ट्रीय सलाहाकार परिषद (एनएसी) जैसे समानांतर सत्ता का केन्द्र बनाया है।
आरएसएस के हिन्दी और अंग्रेजी में छपने वाले मुखपत्रों 'पांचजन्य' व 'ऑर्गनाइजर' के ताजा अंकों में सोनिया पर ये आरोप लगाए गए हैं।
पांचजन्य के संपादकीय में कहा गया है कि राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के जरिए सोनिया साम्प्रदायिक व लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक जैसे काले कानून का प्रारूप तैयार कराके विधायी प्रक्रिया में असंवैधानिक हस्तक्षेप करने जैसी हिमाकत कर रही हैं।
इसमें सवाल किया गया है कि क्या देश कांग्रेस की जागीर है जो उसके राजनीतिक हितों, सत्ता स्वार्थों व मंसूबों के हिसाब से चलाया जाएगा? उधर ऑर्गनाइज़र के लेख में आरोप लगाया गया है कि सोनिया अपने सार्वजनिक जीवन को लेकर बहुत अधिक रहस्यात्मक हैं।
इसमें कहा गया है, 'सोनिया गांधी ने पहले अपने धर्म को छिपाया, फिर संबंधियों को छिपाया और अब अपनी बीमारी को। वह लगातार इन सब जानकारियों को देश की जनता से छुपाती आ रही हैं।'
लेख में कहा गया है कि इस छिपाने और गोपनीयता बरतने की कांग्रेस अध्यक्ष की आदत का सबसे ताजा उदाहरण पिछले दस साल की अपनी इनकम टैक्स की जानकारी देने से इनकार करना है। ऑर्गनाइजर में दावा किया गया है कि सोनिया ने प्रिवेसी और सिक्युरिटी के नाम पर उनके द्वारा पिछले 10 सालों में दिए गए इनकम टैक्स की जानकारी देने से इनकार कर दिया।
इसमें कहा गया है कि इससे पहले उन्होंने अपने धर्म की जानकारी देने से यह कहकर इनकार कर दिया था कि यह उनका निजी मामला है जिसे वह सार्वजनिक नहीं करना चाहेंगी। ऑर्गनाइजर ने कहा है कि सभी सरकारी कागजातों और फॉर्मों में यह जानकारी देना जरूरी होने के बावजूद सोनिया इससे बचती आईं।
संघ ने दावा किया है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने अपनी शैक्षिक योग्यता को भी 'अति गोपनीय' बना कर छिपाया हुआ है। हाल ही में उनकी बीमारी और विदेश में इलाज के बारे में लेख में कहा गया है, 'सोनिया जब बीमार हुईं और सरकारी खर्चे पर इलाज के लिए विदेश गईं तो भी 'निजता का सम्मान' किए जाने के नाम पर उन्होंने बीमारी के बारे में देश को कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।
इसमें कहा गया है कि अगर उनके इलाज पर सरकारी पैसा खर्च हुआ है तो देश की जनता को यह जानने का हक है कि इसमें कितना सार्वजनिक धन लगा और क्यों लगा? जनता को यह जानने का भी अधिकार है कि जिस बीमारी का इलाज कराने वह विदेश गईं, क्या उसके इलाज की सुविधा देश में नहीं थी?
1 टिप्पणी:
ये तो है. कई चीजों को सार्वजनिक करना चाहिये.
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