१. मुहम्मद कि शिक्षाओ के कारण लाखो लोग मारे गए : -
"यदि तुम कुरान को पढ़ो तो तुम्हे सबसे आश्चर्य सत्य और अंधविश्वास मिले जुले मिलेंगे | तुम इनकी व्याख्या कैसे करोगे ? निःसंदेह वह पुरुष ( पैगम्बर मुहम्मद ) अंत प्रेरित था | लें ऐसा प्रतीत होता है कि वह अंत प्रेरणा मानो उसपर थोपी गयी है | वह कोई एक प्रशिक्षित योगी नहीं था और वह जो कुछ कर रहा था वह उस सबका कर्ण भी नहीं जनता था | सोचो उस भलाई का जो मुहम्मद ने विश्व के लिए कि और उस महान बुराई को भी सोचो जो कि उसकी हठ धर्मिता के कारण कि गयी | जरा सोचो कि उसकी शिक्षाओ कारण लाखो मनुष्यों कि सामूहिक हत्याए हुई, मांओ को अपने बच्चो को मौत के कारण खोना पड़ा, बच्चे अनाथ बनाये गए, अनेक देश सम्पूर्ण नष्ट हो गए, लाखो ही लाखो कि हत्या कि गयी |"
( १ : १८४ )
२. मुसलमानों के कर्मकांड : -
"प्रतेक मुसलमान जो यह सोचता है कि एक गैर - मुसलमान का प्रतेक कर्मकांड, प्रतेक आराध्य स्वरुप, प्रतेक मूर्ति एवं प्रतेक धार्मिक अनुष्ठान पापपूर्ण है, मगर वह ऐसा नहीं सोचता जब वह अपने ही धर्म स्थल काबा पर आता है इस सन्दर्भ में हर एक धार्मिक मुसलमान को, वह जहा कही भी उपासना करे उसे यह सोचना आवश्यक है कि वह काबा के सामने खडा है ( इसीलिए विश्व के सारे मुसलमान मक्का कि ओर मुह करके नमद पढते है ) | जब वह वहाँ कि यात्रा करे तो उसे धर्म स्थल कि दिवार में लगे " संगे-अस्वद" ( काले पत्थर को चूमना चाहिए | मुसलमानों का विश्वास है कि वे सभी चुम्बनों के निशानो जो कि लाखो ही लाखो मुसलमानों ने उस पवित्र पत्थर पर किये गए " आखिरात" यानि न्याय के दिन पर उस धार्मिक व्यक्ति के कल्याण के लिये उठ खड़े होंगे | इसके अलावा वहाँ एक जिमजिम का कुआ है | मुसलमानों का विश्वास है कि जो कोई थोडा भी पानी उस कुए से निकालेगा उसके सभी पाप क्षमा कर दिए जायेंगे और 'कियामत' के दिन के बाद उसे एक नया शारीर मिलेगा तहत वह सदैव रहेगा |" ( २: ३९)
३. गैर मुसलमानों को जान से मारो :-
"मुसलमानों को उन सभी लोगो को जान से मारने कि अनुमति देता है जो कि उसके मत के नहीं है यानि कि गैर - मुसलमान है | कुरान में यह साफ़ लिखा है कि "गैर मुसलमानों कि हत्या करो यदि वे मुसलमान नहीं बन जाते है |" उनको आग में जला देना और तलवार के घात उतार देना चाहिए |" ( २:३३५)
शेष अगले पोस्ट में ......
"यदि तुम कुरान को पढ़ो तो तुम्हे सबसे आश्चर्य सत्य और अंधविश्वास मिले जुले मिलेंगे | तुम इनकी व्याख्या कैसे करोगे ? निःसंदेह वह पुरुष ( पैगम्बर मुहम्मद ) अंत प्रेरित था | लें ऐसा प्रतीत होता है कि वह अंत प्रेरणा मानो उसपर थोपी गयी है | वह कोई एक प्रशिक्षित योगी नहीं था और वह जो कुछ कर रहा था वह उस सबका कर्ण भी नहीं जनता था | सोचो उस भलाई का जो मुहम्मद ने विश्व के लिए कि और उस महान बुराई को भी सोचो जो कि उसकी हठ धर्मिता के कारण कि गयी | जरा सोचो कि उसकी शिक्षाओ कारण लाखो मनुष्यों कि सामूहिक हत्याए हुई, मांओ को अपने बच्चो को मौत के कारण खोना पड़ा, बच्चे अनाथ बनाये गए, अनेक देश सम्पूर्ण नष्ट हो गए, लाखो ही लाखो कि हत्या कि गयी |"
( १ : १८४ )
२. मुसलमानों के कर्मकांड : -
"प्रतेक मुसलमान जो यह सोचता है कि एक गैर - मुसलमान का प्रतेक कर्मकांड, प्रतेक आराध्य स्वरुप, प्रतेक मूर्ति एवं प्रतेक धार्मिक अनुष्ठान पापपूर्ण है, मगर वह ऐसा नहीं सोचता जब वह अपने ही धर्म स्थल काबा पर आता है इस सन्दर्भ में हर एक धार्मिक मुसलमान को, वह जहा कही भी उपासना करे उसे यह सोचना आवश्यक है कि वह काबा के सामने खडा है ( इसीलिए विश्व के सारे मुसलमान मक्का कि ओर मुह करके नमद पढते है ) | जब वह वहाँ कि यात्रा करे तो उसे धर्म स्थल कि दिवार में लगे " संगे-अस्वद" ( काले पत्थर को चूमना चाहिए | मुसलमानों का विश्वास है कि वे सभी चुम्बनों के निशानो जो कि लाखो ही लाखो मुसलमानों ने उस पवित्र पत्थर पर किये गए " आखिरात" यानि न्याय के दिन पर उस धार्मिक व्यक्ति के कल्याण के लिये उठ खड़े होंगे | इसके अलावा वहाँ एक जिमजिम का कुआ है | मुसलमानों का विश्वास है कि जो कोई थोडा भी पानी उस कुए से निकालेगा उसके सभी पाप क्षमा कर दिए जायेंगे और 'कियामत' के दिन के बाद उसे एक नया शारीर मिलेगा तहत वह सदैव रहेगा |" ( २: ३९)
३. गैर मुसलमानों को जान से मारो :-
"मुसलमानों को उन सभी लोगो को जान से मारने कि अनुमति देता है जो कि उसके मत के नहीं है यानि कि गैर - मुसलमान है | कुरान में यह साफ़ लिखा है कि "गैर मुसलमानों कि हत्या करो यदि वे मुसलमान नहीं बन जाते है |" उनको आग में जला देना और तलवार के घात उतार देना चाहिए |" ( २:३३५)
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1 टिप्पणी:
विवेकानन्द जी ने छोटी सी आयु में ही असाधारण कार्य किये..उन्हें प्रणाम
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