"आतंक का कोई मज़हब नहीं होता"... ??

"आतंक का कोई मज़हब नहीं होता"...

 इसीलिए अमेरिका में अब सूअर की चर्बी युक्त बन्दूक एवं AK-47 की गोलियों की बम्पर बिक्री शुरू हो गई है...

इन गोलियों में बारूद के साथ सूअर का माँस और चर्बी है, और ब्राण्ड नेम है "जिह्वाग एमो" !

इस कम्पनी को आरम्भ करने वाले मिस्टर ब्रैंडन कहते हैं कि जन्नत की चाह रखने वालों के लिए यह गोलियाँ खासतौर पर डिजाइन की गई हैं.

पति-पत्नी की टीम इन गोलियों के प्रमोशन हेतु टीशर्ट और टोपियां भी बेच रही है जिन पर लिखा हुआ है, "72 हूरों की मदद करो—जिहाग ऐमो गोलियों का इस्तेमाल करो.”

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कम से कम इतना तो मानना ही पड़ेगा कि हर "नई शुरुआत" अमेरिका से होती है...

चाहे ओसामा की लाश को समुद्र में फेंकना हो, या ग्वांतानामो की जेल में आतंकियों को दी जाने वाली अभिनव यातनाएँ हों...|

स्वाभाविक है कुछ नया सोचने और करने के लिए हिम्मत की जरूरत होती है. हम जैसे बेशर्म लोग तो अभी भी ससम्मान भारी भीड़ के साथ याकूब और बुरहान के जनाजे निकलते हुए देखते रहते हैं...
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