इस्लाम में नारीत्व के साथ छलावा – २

इस्लाम द्वारा स्त्रियों पर लादी गयी निम्नलिखित सीमाओं को ध्यान में रखते हुए कोई भी इमानदारी से इसी निष्कर्ष पर पहुचेगा कि यश सब जान बुझ कर किया गया है ताकि स्त्रियों को कामवासना तृप्ति के खिलौने के रूप देने के लिए मानवाधिकारों से वंचित रखा जाय जिससे पुरुष समुदाय अधिकाधिक संख्या में इस्लाम में घुस जाए|
१.    स्त्रियों का यह मजहबी कर्तव्य है कि वे अधिअधिक संख्या में बच्चे पैदा करे|       इब्न ऐ माजाह खंड १ पृष्ठ ५१८, ५२३ के अपने “ सुनुन्” में यह उल्लेख है कि पैगम्बर ने कहा था: “ शादिया करना मेरा मौलीक सिध्दांत है | जो कोई मेरे आदर्शो को अनुसरण नहीं करता, वह मेरा अनुयायी नहीं है| शादिया करो ताकि मेरे नेतृत्व में सर्वाधिक अनुयायी हो जाय फलस्वरूप में में दूसरे समुदायों से ऊपर अधिमान्यता प्राप्त करूँ |” इसी प्रकार मिस्कत खंड ३ में पृष्ठ ११९ पर इसी प्रकार कि एक हदीस है: “ कयात के दिन मेरे अनुयायियों कि संख्या अन्य किसी भी संख्या से अधिक रहे, और इस उद्देश्य कि पूर्ति स्त्री जाती पर मात्र संतान उत्पत्ति के अनन्य भार को डालकर संभव थी|”
स्पष्टत: एक स्त्री जो दर्जन भर बच्चे कि माँ होगी | उसके मस्तिष्क में तो इसी भय से आक्रांत रहने कि संभावना है कि यदि उसका पति उसे छोड़ दे तो उसका क्या होगा ?? पत्नी को अपने अंगूठे के निचे रखने के लिए यह भय पर्याप्त शक्तिशाली अस्त्र है|
२.    दूसरी शर्त जो इस्लाम में स्त्रियों कि स्थिति का निर्धारण करती है वह कुरान में ५७ अल हदीद २७ में दी गयी है | “ संसार त्याग कि प्रथा उन्होंने स्वयं निकाली हमने इसका आदेश कभी नहीं दिया था, दिया था तो बस अल्लाह कि प्रसन्नता चाहने का, तो उन्होंने उसका जैसा पालन करना चाहिये था नहीं किया|”  
साधारण शब्दों में इन आयतो का तात्पर्य है कि ईसाइयों ने बैरागी का पालन करके प्रभु कि इच्छा कि अवज्ञा कि है, क्योकि पुरुष द्वारा स्त्रियों का सम्भोग अल्लाह का मनोरंजन है|
इसी प्रकार सती कुछ भी नहीं है किन्तु वह तो पुरुष कि भोग बिलाश कि वास्तु है | वास्तव में प्रतेक स्त्री को यह ज्ञान है वह आदर का व्यवहार चाहती है, परन्तु इस्लाम जो एक सेमिटिक दर्शन का अनुशरण करता है जिसके अनुसार एक पुरुष को उसके आदेशानुसार उसके कामवासना कि पूर्ति होना चाहिए | यही कारण है कि इस्लाम में स्त्री के सम्भोग में सहमती कि कोई अवधारणा नहीं है | इस्लाम में एक स्त्री पुरुष कि जोत होती है और एक पुरुष को उसे स्विच्छा पूर्वक उपयोग करने का अधिकार है | यही कारण है कि इस्लामी कानून का उद्देश्य पुरुष कि प्रभुता है, स्त्री के ऊपर तद्नुरूप अपमान आरोपित हो जाता है |
 निम्नलिखित आयत से पाठक इस तथ्य का निर्णय कर सकते है |
     “ उन स्त्रियों के भी सामान्य नियम के अनुसार वैसे ही अधिकार है जैसे कि स्वयं पर उनपर है, हाँ पुरुषों पर उन पर एक दर्जा प्राप्त है |” - (२ अल बकरह २२८)
     यह आयत बहुत ही विवादस्पद है और इस्लामी कट्टरपंथी उसे स्त्री एवं पुरुषों कि समानता सिध्द करने के लिए खीचते तानते रहते है| इसलिए इसकी सच्चाई को प्रदर्शित करने के लिए दूसरा हदीस है :
     “यदि स्त्रिया आप के आदेशो का पालन करे तो उन्हें उत्पीडित न करो ........... उनकी बात ध्यान से सुनो, उनका आप पर अधिकार है कि आप उनको भोजन एवं वस्त्रों का प्रबंध करो” – ( इब्न ऐ मजह खंड १ पृष्ठ ५१९)
इसी प्रकार स्त्री के अधिकार उनके भरण पोषण तक ही सिमित है बशर्ते कि वह अपने पुरुष कि अग्या का पालन करे | इस्लाम सा सामान्य विश्वास है कि पुरुष स्त्री के अपेच्छा क्षेष्ठ होता है | वास्तव में कुरान का कानून इस विचार कि पूर्णतया पुष्टि करता है |
          “ .............................. स्त्रियों में से जो तुम्हारे लिए जायज हो दो दो, तीन- तीन, चार-चार तक विवाह कर लो |”
                                        ( ४ अननिसा ३)
यह पुरुष को क़ानूनी अधिकार दिया गया है कि वह एक समय में अपनी पसंद कि चार स्त्रिया रख ले | मुस्लिम विद्वान बहु विवाह कि लज्जा से बचने के लिए इस आयत कि भिन्न भिन्न ब्याख्याये करते है| उदाहरण स्वरूप वे कहते है कि स्त्रियों को बहु विवाह ( एक समय में एक से अधिक पति ) कि अनुमति इस लिए नहीं दी गयी है क्योकि बच्चो के पिता का पता लगाना संभव नहीं |
इन सबके ऊपर रखैलो के विषय में इस्लामी कानून तो एक पुर्रुष को इतनी स्त्रिया हरम में रखने कि अनुमति देता है जीतनी वह रख सकता है | उदाहरण स्वरूप भारत के अकबर महान के हरम में ५००० रखैल थी और उनके पुत्र जहागीर के हरम में ६००० रखैल थी | इनके लिए सिर्फ एक ही नाम दिया जा सकता है वह है “ निजी वैश्यालय | तो भी मुसलामान विद्वान नैतिकता और स्त्रियों के अधिकारों कि बातें करते है|
३.    हमें यह बताया गया है कि पुरुषों के स्त्रियों पर अधिकार है, वैसे स्त्रियों के भी पुरुषों पर अधिकार है| इसे बराबरी के प्रमाण के रूप में उल्लेख किया जाता है| वास्तव में यह अत्यंत भ्रामक है क्योकि उसके पारस्परिक अधिकारों का सम्बन्ध ही पुरुष को मालिक और स्त्री को दासी बना लेता है|
स्त्रियों को पुरुषों के ऊपर एक ही अधिकार है, वह अहि भरण पोषण का अधिकार |
यदि कोई पति अपने पत्नी को पत्थारो कि गठरी लाल पर्वत से उस काले पर्वत तक ले जाने को कहे तो उस स्त्री को इसे पुरे मनोयोग से पालन करना चाहिए |                   ( इब्न ऐ मजाह खंड १ अध्याय ५९२ पृष्ठ ५२० )
४.    अल्लाह कसम, मोहम्मद का जीवन कौन नियंत्रित करता है, एक स्त्री अल्लाह के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वाह नहीं कर सकती जब तक उसने अपने पति के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया है, यदि वह स्त्री ऊंट पर सवारी कर रही हो और उसका पति इच्छा प्रकट करे तो उस स्त्री को मना नहीं करना चाहिए |      (इब्न ऐ मजाह खंड १ अध्याय ५९२ पृष्ठ ५२० )
पुन: “यदि एक पुरुष का मन सम्भोग करने के लिए उत्सुक हो तो पत्नी को तत्काल प्रस्तुत हो जाना चाहिए भले ही वह उस समय सामुदायिक चूल्हे पर रोटी सेक रही हो|”     ( तिरमजी  खंड १, पृष्ठ ४२८ )

क्रमश: ............... अगले ब्लॉग में ....

कुरान की सच्चाई (एक घिनौना रूप) - २/२





















































जिसके धार्मिक पुस्तम में ऐसी बाते लिखी हो, और वो जोर – जोर से चिल्ला के कहे की इस्लाम सब धर्मो से बड़ा है और ऊचा है तो , सायद वह पागल है या किसी आतंकवादी ग्रुप से जुड़ा है| वरना एक भला मानव कभी भी किसी  भी धर्म में मार काट को बर्दाश नहीं करेगा| जैसा की ऊपर लिखित कुरान की आयातो में है|
हे इस्लाम के अंधे मुसलमानों जागो ! और बताओ की कहाँ तुम लोगो को सर्वश्रेष्ठ शिक्षा देता है इस्लाम और कुरआन, यह सिर्फ धर्म के आड में खून खराबा करने के सिवाय कुछ और नहीं है|
मै भारत के मुस्लमान भाईयो से अपील कर रहा हूँ कि “ आओ सुखमय और शांति के तरफ, जहाँ दूसरे कि खुशी अपनी खुशी होती है और दूसरे का दुःख अपना दुःख होता है| आप के पूर्वज हिंदु थे, मुग़ल काल के कस्सायियो ने आप के पूर्वजो को जबरदस्ती मुसलमान बनाया है| जो उनकी बात मान गए वो मुसलमान बन गए और जो नहीं माने उन्हें क़त्ल कर दिया गया| जिसे आप सभी लोग जानते है|”
इसलिए स्वागत है आप लोगो का मानवता का धर्म  “ सनातन धर्म” में|
जय हिंद – जय भारत
बन्देमातरम

इस्लाम में नारीत्व के साथ छलावा

                                इस्लाम के कानून के अनुसार नारी को काम वासना पूर्ति के लिए एक खिलौने के स्तर तक गिरा देने को प्रेरित करता है| इस्लामी कानूनों को इस प्रकार गढा गया है कि प्रभुत्व कि ललक बना नारी का आकर्षण मजहबी निति को लागू करने के लिए नारी कि स्वाधीनता न्यूनतम रह जाए| तथापि, बलात् मतारोपण के द्वारा मुसलमानों को आश्वस्त किया जाता है कि इस्लाम ही वह प्रथम अजहब है जिसने स्त्रियों को निम्लिखित अधिकार दिए :-


१. संपत्ति का अधिकार ( कोई कानून जब तक कानून नहीं है जब तक वह सभी पर सामान रूप से लागू नहीं होता |
इस प्रकार उत्तराधिकारी का कानून पैगम्बर के वंशजो पर भी लागू होना चाहिए यानी पैगम्बर कि पुत्री फातिमा पर उसी प्रभाव से लागू होना चाहिए जिस प्रकार यह अन्य स्त्रियों पर लागु होता है, परन्तु ऐसा नही हुआ |
हदीस संख्या ३:४३५१ (मुस्लिम) इस पर व्यापक रुप से प्रकाश डालती है
२. पति को तलाक देने का अधिकार ( हम पैगम्बरों के उत्तराधिकारी नहीं होते, हम जो पीछे छोड़ जाए है वह दान में ( दे दिया जाना) है
इस हदीस के तर्क को दो प्रकार से स्वीकार करना कठिन है प्रथम तो पैगम्बर ने दवा किया है कि वह सब लोगो के लिए व्यवहार का आदर्श है इसलिए फातिमा को उसकी पैतृक संपत्ति वंचित करना उसके प्रति एकदम अन्यायपूर्ण व् भेदभावपूर्ण कार्य है| जो कानून किसी व्यक्ति के विरुद्ध सिर्फ इसलिए भेदभाव पूर्ण नहीं हो जाता है कि वह पुरुष अथवा स्त्री( फातिमा) या अन्य कोई पुरुष कानून बनाने वाली का सम्बन्धी है|
दूसरा फातिमा को अपने पैतृक संपत्ति के शीघ्र आवश्यकता थी और उसका पति अली भी उसका सामान रुपस ए इच्छुक था| मामला निर्णय के लिए खलीफा अबू बकर के पास भेजा गया, उसने पैगम्बर कि संपत्ति से कुछ भी देने से इंकार कर दिया |
इस कारण अबू बकर से क्रुद्ध हो गयी और उसका परित्याग कर दिया और जीवन पर्यंत उससे बाट नहीं की| जब वह मरी तो उसके पति अली बी, अबू तालिब ने रात्री में ही उसे दफना दिया
उसने अबू बकर को फातिमा की मृत्यु की सूचना भी नहीं दी और जनाजे की नमाज़ भी स्वयं ही संपन्न कर दी|
इससे स्पष्ट है की यदि पैगम्बर अपनी पुत्री को ही पैतृक संपत्ति से कर सकता है तो अन्य स्त्रियों को इस्लाम के उत्तराधिअकारी के कानून से कोई अधिक आशा नहीं करना चाहिए जो केवल कागज पर ही अच्छा दिखाई देता है
परन्तु प्रभाव में ये अधिकार जाली ही है क्योकि स्त्रियों को निम्नलिखित कारणों से इन अधिकारों का उपयोग नहीं कर सकती :-
क: अल्लाह ने स्त्रियों पर परदे का लागु किया है, अर्थात उन्हें सामाजिक जीवन मे भाग नहीं लेना चाहिए
“ और ईमान वाली स्त्रियों से कहा की अपनी निगाहे नीची रखे और अपने शर्मगाहो की रक्षा करे और अपना श्रृंगार न दिखाए सिवाय उसके जो जाहिर और अपने सिनो (वक्ष स्थल) पर अपनी ओढनिय से आँचल डाले रहे और वे अपने श्रृंगार किसी पर जाहिर ना करे ..........
स्त्रियों को उनके अधिकार से वंचित करने के लिए कुरान में यह प्राविधान है:- “ पुरुष स्त्रियों के निगरां और जिम्मेदार है, इसीलिए की अल्लाह ने एक को दूसरे पर बड़ाई दी है............ तो और जो स्त्रियां नेक होती है वे आज्ञा का पालन करती है ............ और जो स्त्रिया ऐसी होजिनके सरकशी का तुम्हें भय हो, उन्हें समझाओ, बिस्तरों में उन्हें तन्हा छोड़ दो, और उन्हें मारो
चूँकि एक स्त्री के लिए पर्दा अनिवार्य है और वह घर ए ही प्रतिबंधित है औत पुरुष उसका प्रबंधक है, और यदि स्त्री उसकी आज्ञा का उलंघन करे, तो पुरुष को उसे पिटने का अधिकार प्राप्त है, उसके संपत्ति के अधिकार एक ड्रामा बाजी ही है| वे अधिकार ऐसे ही है जैसे आत्मा के बिना शारीर, और तिरो के बिना कमान|
ख. जैसा की पाद टिपण्णीयो में कहा गया है की एक स्त्री के पास पुरुष को तलाक देने का कोई क़ानूनी अधिकार नहीं है किन्तु खुला से यह अर्थ निकालता है की श्री ऐसा कर सकती है
तथापि पुरुष अपने आप को वैवाहिक बंधन से बिलकुल स्वतन्त्र रुप से इच्छानुसार मुक्त कर सकता है परन्तु एक पत्नी को यह लक्ष प्राप्त करने के लिए एक अत्यंत पेचीदा क़ानूनी प्रक्रिया से गुजरना हित है
इसके अतिरिक्त यदि एक स्त्री पूर्ण रूपसे औचित्य के बिना पग उठाती है तो उस पर खुदा का कोप एवं फरिस्तो का कहर टूट सकता है
उत्तराधिकारी के कानून एक पुरुष को दो स्त्रियों के बराबर मानता है
( ४ अनानिसा : ११) साक्ष्य का कानून इससे भी अधिक सख्त है: न केवल दो स्त्रियों की साक्ष्य एक पुरुष के बराबर होता है कितु जहा साक्ष्य के लिए पुरुष उपलब्ध हो तो स्त्रियों को साक्ष्य देने की अनुमति नहीं है








क्रमश: ............

पीएफआई की मंशा, केरल मुस्लिम राज्य बने

केरल के मुख्यमंत्री अच्युतानंदन ने कहा पीएफआई केरल को मुस्लिम राज्य बनाने के चक्कर में है।

केरल के मुख्यमंत्री वी.एस. अच्युतानंदन ने शनिवार को कहा कि प्रतिबंधित अतिवादी मुस्लिम संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की मंशा केरल को अगले 20 वर्षो में मुस्लिम बहुल राज्य बनाना है।
अच्युतानंदन ने संवाददाताओं को बताया, लक्ष्य हासिल करने के लिए यह प्रतिबंधित संगठन युवाओं को आकर्षित करने के लिए पैसे लुटा रहा है और उन्हें हथियार मुहैया करा रहा है। वे अन्य समुदाय के युवाओं को भी धर्म परिवर्तन के लिए उकसा रहे हैं और मुस्लिम लड़कियों से विवाह के लिए मना रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने यह बयान इसलिए दिया है, क्योंकि उनकी वाम जनतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार ने प्रतिबंधित संगठन के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई शुरू की है। संगठन के कार्यकर्ताओं ने पिछले दिनों पैगम्बर मोहम्मद के बारे में कथित तौर पर अनादरपूर्ण बात लिखने के कारण एक कालेज प्राध्यापक का हाथ काट लिया था।
प्रतिबंधित संगठन के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई को उचित बताते हुए अच्युतानंदन ने कहा कि पुलिस पीएफआई के कार्यकर्ताओं पर कड़ी नजर रख रही है।

संसार के गुरु हैं हम

सुधारों के लिए जो भी आंदोलन हुए हैं, उनमें से अधिकांश दिखावा मात्र रहे हैं। उन्होंने केवल प्रथम दो वर्णों ही से संबंध रखा है, शेष दो से नहीं। विधवा-विवाह के प्रश्न से सत्तर प्रतिशत भारतीय स्त्रियों का कोई संबंध नहीं है और इस प्रकार के सब आंदोलनों का संबंध भारत के उच्च वर्गों ही से रहा है, जो जनसाधारण का तिरस्कार कर स्वयं शिक्षित हुए हैं।


स्वामी विवेकानंद
इन लोगों ने अपने-अपने घर को साफ करने एवं अंग्रेजों के सम्मुख अपने को सुन्दर दिखाने ही में कोई कसर बाकी नहीं रखी पर यह तो सुधार नहीं कहा जा सकता। सुधार करने में हमें चीज के भीतर उसकी जड़ तक पहुंचना होता है। आग जड़ में लगाआ॓ और उसे क्रमश: ऊपर उठने दो एवं एक अखंड भारतीय राष्ट्र संगठित करो।
अपने जीवन के महान व्रत को याद रखो। हम भारतवासी बहुत परिमाण में विदेशी भावों से आक्रान्त हो रहे हैं, जो हमारे जातीय धर्म की सम्पूर्ण जीवन शक्ति को चुका डालते हैं। हम आज इतने पिछड़े हुए क्यों हैं? क्यों हममें से निन्यानवे फीसद आदमी सम्पूर्णत: पाश्चात्य भावों और उपादानों से विनिर्मित हो रहे हैं? अगर हम लोग राष्ट्रीय गौरव के उच्च शिखर पर आरोहण करना चाहते हैं तो हमें इस विदेशी भाव को दूर फेंक देना होगा, साथ ही यदि हम ऊपर चढ़ना चाहते हैं तो हमें यह भी याद रखना होगा कि हमें पाश्चात्य देशों से बहुत कुछ सीखना बाकी है। पाश्चात्य देशों से हमें उनका शिल्प और विज्ञान सीखना होगा, उनके यहां के भौतिक विज्ञानों को सीखना होगा और उधर पाश्चात्य देशवासियों को हमारे पास आकर धर्म और अध्यात्म-विघा की शिक्षा ग्रहण करनी होगी।
हमको विश्वास करना होगा कि हम संसार के गुरू हैं। हम यहां पर राजनीतिक अधिकार तथा इसी प्रकार की अन्य बातों के लिए चिल्ला रहे हैं। अच्छी बात है, परन्तु अधिकार और सुभीते केवल मित्रता के द्वारा ही प्राप्त हो सकते हैं और मित्रता की आशा वहीं की जा सकती है, जहां दोनों पक्ष समान होते हैं। यदि एक पक्ष वाला जीवन-भर भीख मांगता रहे तो क्या यहां पर मित्रता स्थापित हो सकती है? ये सब बातें कह देना बहुत आसान है, पर मेरा तात्पर्य यह है कि पारस्परिक सहयोग के बिना हम लोग कभी शक्ति सम्पन्न नहीं हो सकते। इसीलिए मैं तुम लोगों को धर्माचार्य के रूप में इंग्लैंड जाने को कह रहा हूं। हमें अपने सामर्थ्य के अनुसार विनिमय का प्रयोग करना होगा। यदि हमें इस लोक में सुखी रहने के उपाय सीखने हैं, तो हम भी उसके बदले में क्यों न उन्हें अनन्त काल तक सुखी रहने के उपाय बताएं।

स्वर्णलता को याद है पिछले दो जन्म

भोपाल में बॉटनी की एक प्रोफेसर हैं, जिन्हें अपने पिछले दो जन्म आज भी याद हैं।

पुनर्जन्म पर बहुत कम लोग विश्वास करते हैं, लेकिन पुनर्जन्म ज्ञान-विज्ञान के तर्कों से परे है।
बॉटनी की प्रोफेसर स्वर्णलता तिवारी को अपने पिछले दो जन्मों की याद है। श्रीमती तिवारी बॉटनी की प्रोफेसर रहीं और भोपाल के एमवीएम कॉलेज से प्रिंसिपल के पद से रिटायर हुईं।
इतना ही नहीं उन्होंने अपने पिछले जन्म के परिवारों को ना सिर्फ ठीक तरह से पहचाना, बल्कि आज भी उस परिवार से उनका रिश्ता है।
स्वर्णलता के मुताबिक उनका पहला जन्म कटनी में हुआ था। पहले जन्म के भाई जब कटनी से मिलने उनके घर भोपाल पहुंचे तो उन्होंने बगैर किसी दिक्कत के उन्हें झट से पहचान लिया। यहां तक कि स्वर्णलता जब अपने पहले जन्म के अपने घर पहुंचीं तो वहां उन्हें सब कुछ याद था। घर-परिवार के लोग ही नहीं आस-पड़ोस में रहने वालों को भी उन्होंने बखूबी पहचान लिया।
कटनी में अपने पिछले जन्म में स्वर्णलता चार भाइयों में अकेली बड़ी बहन थीं। हालांकि अब उनके पिछले जन्म के चारों भाई इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन उनके पहले जन्म के भतीजे उन्हें आज भी वही सम्मान देते हैं और परिवार में मांगलिक अवसर पर जरूर बुलाते हैं।
वहीं बचपन में एक दिन अचानक बैठे-बैठे उन्हें अपना दूसरा जन्म भी याद आ गया। उनका दूसरा जन्म सिलहट में हुआ था, जहां वो महज आठ-नौ साल की थीं और स्कूल जाते वक्त एक सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई थी।
पुनर्जन्म एक ऐसी दास्तां है, जिस पर विज्ञान के अलग-अलग मत है और आज भी इस पर रिसर्च चल रही है। जहां कुछ वैज्ञानिक पुनर्जन्म को महज एक दिमागी भ्रम मानते हैं, वहीं पैरामेडिकल साइंस से जुड़े कुछ वैज्ञानिक इस पर यकीन करने की हिम्मत भी दिखाते हैं।
अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ. स्टेफन ने स्वर्णलता के केस का अध्ययन किया और इसे एक्स्ट्रा मेमोरी का नाम दिया।
स्वर्णलता के पहले जन्म के परिजन भी इस बात की तस्दीक करते हैं कि एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने भारत आकर उनके केस की स्टडी की थी और वर्ष 1964 के आसपास उस जमाने में पुनर्जन्म के मामलों में आई एक अंतरराष्ट्रीय केस स्टडी में इस केस को दूसरे नंबर पर रखा गया।
स्वर्णलता की खासियत सिर्फ इतनी ही नहीं है, बल्कि उन्हें भविष्य में होने वाली घटनाओं का भी आभास हो जाता है। हालांकि ये सिलसिला पहले के मुकाबले कुछ कम हो गया है। लेकिन ऐसे कई मौके आए जब उन्होंने भविष्य में होने वाली घटनाओं को पहले ही देख लिया।
उन्होंने सपने में अपने इस जन्म के ससुराल का घर काफी समय पहले ही देख लिया था।

उसकी लंबाई भले ही मात्र 27 इंच है लेकिन उसके ख्वाब बड़े-बड़े हैं।

दुनिया का सबसे छोटा आदमी होने के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज कोलंबिया का 24 वर्षीय डांसर एडवार्ड निनो हर्नांडेज खुद को अद्भुत व्यक्ति मानता है। उसकी तमन्ना फास्ट कार खरीदने और दुनिया का भ्रमण करने की है। निनो जिन हस्तियों से मिलने की हसरत रखता है, उनमें शामिल हैं जैकी चान, सिल्वेस्टर स्टालान और पूर्व कंबोडियाई राष्ट्रपति एल्वरो यूराइब।

निनों का वजन 10 किलो है और दुनिया का जीवित सबसे छोटा व्यक्ति है। पार्ट टाइम डांसर निनो का कहना कि मैं बहुत खुश हूं क्योंकि मेरे जैसा और कोई नहीं। वह यह भी खुलासा करता है कि उसकी एक गर्लफ्रेंड भी है जिसकी लंबाई 5 फीट से कम है।
हालांकि निनो के दोनों आंखों में कैट्रैक्ट्स हैं जिससे उसे धुंधला दिखता है और परिवार के पास उसका इलाज करने के लिए पैसे नहीं हैं, इसके बावजूद उसे एक फिल्म में बतौर ड्रग चोर का रोल मिल गया है। दुनिया का सबसे छोटा आदमी होने और गिनीज बुक में दर्ज होने के बाद चर्चा में आना उसे अच्छा लगता है लेकिन उसकी एक पीड़ा भी है। वह कहता है, 'लोग हमेशा मुझे छूना चाहते हैं और गोद में उठाना चाहते हैं। इससे मुझे बहुत दुख होता है।'
निनों की 43 वर्षीय मां नोएमी हर्नांडेज के मुताबिक वह पांच बच्चों में सबसे बड़ा है और जब वह दो साल का था, तब से उसका बढ़ना रुक गया। डॉक्टर कभी इसका जवाब नहीं सके कि वह क्यों इतना छोटा है। जन्म के समय उसका वजन 1.5 किलो और लंबाई मात्र 15 इंच थी। डॉक्टर इस बात को लेकर अचंभित थे कि वह इतना छोटा क्यों है। उन्होंने तीन साल तक उसका अध्ययन किया लेकिन बाद में उनकी दिलचस्पी खत्म हो गई।
नोएमी और उसके पति, जो एक सेक्यूरिटी गार्ड है, की एक बेटी की 1982 में मौत हो गई थी जो निनो की तरह छोटी थी। उनका सबसे छोटा बेटा 11 साल का है और उसकी लंबाई 37 इंच है। दिमागी तौर पर निनो तेज है लेकिन बार-बार फेल होने के बाद उसने 13 वें वर्ष में स्कूल को अलविदा कह दिया था।
उसकी मां का कहना है कि वह कभी कंबोडिया से बाहर नहीं गया लेकिन उसे घूमना पसंद है। निनो की यह प्रसिद्धि पता नहीं कितने दिन टिकेगी क्योंकि नेपाल का खगेंद्र थापा मागर उसकी जगह ले सकता है। वह अक्टूबर में 18 वर्ष का होने जा रहा है। उसकी लंबाई 22 इंच है और गिनीज बुक में सबसे छोटे जीवित किशोर के तौर पर दर्ज है। इससे पहले दुनिया का सबसे छोटा व्यक्ति चीन का पिंगपिंग था जो उससे 1.5 इंच ज्यादा लंबा था। मार्च में उसकी मौत हो गई थी।

अमेरिका पर 11 सितम्बर 2001 को हुए आतंकी हमले में देश की गुप्तचर सेवा पूरी तरह से विफल रही थी।

राजधानी दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट फार डिफेंस स्टडीज एंड एनेलिसिस में सीनियर रिसर्च एसोसिएट राजीव नयन का मानना है कि हमले के बाद अमेरिका ने आतंकवादी संगठन अलकायदा के खिलाफ जो अभियान शुरू किया था उसमें उसने पाकिस्तान पर भरोसा कर बहुत बड़ी गलती की।

पाकिस्तान कभी भी अमेरिका को इस अभियान में पूरा सहयोग नहीं देगा जिसके कारण उसके सफल होने की संभावना भी कम होगी।
राजीव नयन ने कहा कि आतंकवाद को पालने पोसने करने वाला पाकिस्तान भी अब आतंकवाद का दंश झेल रहा है। आतंकवाद पाकिस्तान की जड़ों में इतने अंदर तक समा गया है कि इसे नष्ट करना बहुत मुश्किल है। उन्होंने कहा कि भारत सहित पूरे विश्व में 11 सितम्बर को हुए आतंकवादी हमले के बाद ऐसे हमले रोकने के लिए व्यापक तैयारी हुई है लेकिन हमें यह भी सोचना चाहिए कि आतंकवादी पहले के हमले में प्रयोग तरीका नहीं दोहराएंगे।
अमेरिका में 11 सितंबर के हमले में मारे गए लोगों की याद में प्रतिवर्ष 11 सितम्बर ‘पैट्रियट डे’ के रूप में मनाया जाता है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने 25 अक्टूबर 2001 को संयुक्त प्रस्ताव 71 पारित किया था। प्रस्ताव का 407 सांसदों ने समर्थन किया था जबकि इसके विरोध में एक भी मत नहीं पड़ा था। प्रस्ताव में अनुरोध किया गया था कि राष्ट्रपति प्रतिवर्ष 11 सितम्बर के दिन को पैट्रिअट डे के रूप में मनाना निर्धारित करें।
तत्कालीन राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश ने 18 सितम्बर 2001 को इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करके इसे कानून का रूप प्रदान कर दिया। शुरूआत में इस दिन को आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों को याद करने और उनके लिए प्रार्थना करने का दिन कहा जाता था। चार सितम्बर 2002 को बुश ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए 11 सितम्बर 2002 के दिन को पैट्रिअट डे घोषित कर दिया।
पैट्रिअट डे के दिन अमेरिकी राष्ट्रपति आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों की याद में देश के सभी घरों, राष्ट्रपति भवन व्हाइट हाउस, देश एवं विदेशों में स्थित सरकारी इमारतों और प्रतिष्ठानों पर अमेरिकी झंडे को आधा झुकाने का आह्वान करते हैं। राष्ट्रपति इसके साथ ही सभी नागरिकों से स्थानीय समयानुसार सुबह आठ बजकर 46 मिनट पर कुछ समय के लिए शांति रखने को कहते हैं। यह वही समय है जब आतंकवादियों ने 11 सितम्बर 2001 को अपहृत पहला विमान वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की नार्थ टॉवर बिल्डिंग से टकराया था।
11 सितम्बर 2001 को हुए आतंकवादी हमले में सीधे तौर पर प्रभावित क्षेत्रों के कुछ समुदाय के लोग पैट्रिअट डे के दिन गिरजाघरों में विशेष प्रार्थनाएं करते हैं। इसके साथ ही 11 सितम्बर 2001 को हुए आतंकवादी हमले का व्यक्तिगत रूप से साक्षी रहने वाले अथवा इसमें अपने प्रियजनों को खोने वाले लोग मारे गए लोगों की स्मृति स्थलों पर जाकर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित करते हैं।
पैट्रिअट डे के दिन कोई संघीय अवकाश नहीं होता इसलिए इस दिन शिक्षण संस्थाएं और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद नहीं होते। सार्वजनिक परिवहन सेवाएं अपने पूर्व निर्धारित समयानुसार चलती हैं। हालांकि कुछ लोग अथवा संगठन हमले में मारे गए लोगों की याद में कुछ समय के लिए सेवाएं रोक सकते हैं। लेकिन सामान्य तौर पर इसके कारण सार्वजनिक जीवन कुछ मिनट के लिए ही ठहरता है।
11 सितम्बर 2001 को चार विमानों का अपहरण कर लिया गया था। अपहरणकर्ता आतंकवादियों ने जानबूझकर महत्वपूर्ण इमारतों से टकराया। इन इमारतों में वाशिंगटन स्थित पेंटागन तथा न्यूयार्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के दो टावर शामिल थे। चौथा विमान पेंसिलवानिया के एक मैदान में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हमले में करीब तीन हजार लोग मारे गए और काफी बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान हुआ।
अमेरिका के इतिहास में यह अब तक का सबसे बड़ा आतंकवादी हमला था। इस आतंकवादी हमले के बाद अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा काफी बढ़ा दी गई। इस घटना का अमेरिका के राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर भी काफी प्रभाव पड़ा। इस घटना के कारण विशेष रूप से पश्चिम एशिया के इस्लामी देशों के साथ अमेरिका के संबंधों पर काफी प्रभाव पड़ा।

मोटरसाइकिल देवता का मंदिर !

बुलेट मोटरसाइकिल क्या किसी की यात्रा भी सुरक्षित कर सकती है। जी हां राजस्थान के पाली में बुलेट बाबा का मंदिर है जहां लोग सुरक्षित यात्रा के लिए प्रार्थना करने आते हैं।

राजस्थान के पाली ‘बुलेट बाबा’ के नाम से मशहूर मोटरसाइकिल देवता का एक मंदिर है। यहां एक मोटरसाइकिल देवता के रूप में स्थापित है जहां हर रोज सैकड़ों श्रद्धालु अपनी सुरक्षित यात्रा के लिए प्रार्थना करने आते हैं।
जोधपुर के मार्ग में पड़ने वाले पाली से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चोटिला गांव के नजदीक यह मंदिर है, जहां एक 350 सीसी की रॉयल इनफील्ड मोटरसाइकिल बुलेट देवता के रूप में विराजमान है। यहां हर दिन तीर्थयात्रियों का भारी शोरगुल रहता है। प्रत्येक दिन ग्रामीण लोग और यात्री यहां रुककर इस मोटरसाइकिल और इसके दिवंगत मालिक ओम सिंह की प्रार्थना करते हैं। मंदिर में मोटरसाइकिल के पीछे सिंह की एक बड़ी से तस्वीर लगी हुई है, लोग उन्हें प्यार से ओम बाना कहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस मंदिर में रुककर प्रार्थना नहीं करता वह एक खतरनाक यात्रा पर होता है।
कहानी 21 साल पुरानी है। गर्मियों की एक रात ओम बाना पाली से चोटिला लौट रहे थे तभी उनकी मोटरसाइकिल फिसलकर एक पेड़ से टकरा गई और घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई। ग्रामीण बताते हैं कि ओम बाना की मौत के बाद मोटरसाइकिल को एक स्थानीय पुलिस स्टेशन ले जाया गया था लेकिन दूसरे दिन वह फिर घटनास्थल पर पाई गई। शुरुआत में पुलिस को लगा कि यह किसी की शरारत है इसलिए उसने उसका ईंधन टैंक खाली कर दिया और उसे फिर पुलिस स्टेशन ले गई। अगले दिन फिर वह दुर्घटनास्थल पर मिली। करीब के ही एक गांव में रहने वाले छोटू ने बताया कि जैसे-जैसे यह कहानी फैली ग्रामीणों ने दुर्घटनास्थल पर एक मंच बनाकर वहां पूजा-अर्चना शुरू कर दी। मंदिर में एक पुजारी भी है जो रोज की पूजा-अर्चना करता है। वहां आस-पास ही अगरबत्ती, फूलों, नारियल और रक्षा सूत्र की कई दुकानें जहां से लोग इन्हें खरीदकर मंदिर में चढ़ाते हैं। स्थानीय लोग ओम बाना के नाम के लोक गीत गाते हैं। सड़क के लगभग बीचोंबीच स्थित इस मंदिर में वहां से गुजरने वाला प्रत्येक वाहन चालक खासतौर पर पूजा करता है। एक ग्रामीण हेम सिंह राजपूत कहते हैं कि गांव वालों का विश्वास है कि बाना की आत्मा अब भी उस स्थल के आस-पास भटकती है और ग्रामीणों ने उस बुलेट के इंजन की आवाज भी सुनी है।

इस्लाम में यौन मनोविज्ञान कि अवधारणा 2

निष्ठुर, नीरस और निर्दयी लोग ही युध्द जीतते है, पौरुषहीन लोग तो रक्त देखकर ही बेहोश हो जाते है | पैगम्बर बहुत ही गहरी दृष्टि रखते थे, उससे उन्हें एक मनोवैज्ञानिक तंत्र को भुनाने कि छमता दी, जिसे मै स्त्री का आकर्षण बनाम प्रभुत्व कि प्राप्ति को फिर चाहे प्रेम हो या घृणा और न्याय हो या अन्याय, तो प्रभुत्व कि ललक के आगे स्थापित आचार संहिता महत्वहीन हो जाती है| इसीलिए पैगम्बर मोहम्मद को पुरुषों का दर्जा स्त्रियों के दर्जे के अपेक्षा ऊँचा रखना पड़ा | अत: उन्होंने एक ऐसी योजना खोज निकाली जिससे काम पिपासा कि तृप्ति पुरुष के आदेशानुसार हो, जिसने पुरुष को तानाशाही के अधिकार से सज्जित किया और सती को कामुकता का सिर्फ खिलौना बना दिया | पुरुष को क़ानूनी रुप से व्यक्तिगत वेश्यालयो के स्थापना का अधिकार दे दिया, जिसका नाम हरम रख दिया | विलासिता पूर्ण दृष्टि के इन घरों को न केवल “ परम दयालु अल्लाह” कि पूर्ण स्वीकृति थी बल्कि ये ही मुक्ति के एक मात्र उपाय भी थे क्योकि जन्नत में प्रवेश पाने के लिए ही मुसलमान अल्लाह मुहम्मद के आदेशो का पालन करता है, ऐसी जन्नत जहाँ पर परम सुंदरी कामिनियाँ तथा लड़के रहते है जो कि काम पिपासा कि शांति के अदभुत स्रोत है|
यद्यपि “स्त्री का आकर्षण बनाम प्रभुत्व कि ललक “ मोहम्मद का उद्देश्य सफल बनाने के लिए एक प्रभावी योजना थी परन्तु उसको अरब में लागू करना एक कठिन कार्य था क्योकि अरब कि भूमि में मातृसत्तात्मक पद्धति थी जिसमे माताओ और दादियो को अधिकार थे तथा वे आदर कि दृष्टि से देखि जाती थी|
इस्लाम कि यह निति रही है कि जहां कही भी उसने प्रभुत्व पाया है वहाँ के इस्लाम पूर्व कि संस्कृति को पूरी तरह से नष्ट कर दिया | अरब भी इसका अपवाद नहीं है |
यदि कोई इतिहास का अवलोकन करे तो उसे पता चलेगा कि अरब में इस्लाम के उदभव के पहले अनेक रानियाँ थी | यह संभव नहीं हो सकता था, यदि वहाँ पर स्त्रियों को मुलभुत नागरिक के अधिकार न मिले होते|
हम जानते है कि तिगलाथ पिलेसर  ३(७४५-७२७ ईसा पूर्व)ने जिसने असीरियन साम्राज्य कि स्थापना कि थी, सीरिया और उसके निकटवर्ती क्षेत्रो पर, कई सैन्य आक्रमण किये गए थे, अपने शासन के तीसरे वर्ष में वह अरब कि रानी जबिबी से खिराज वसूलने में सफल रहा था | अरब कि एक और रानी शमसियाह हती जिसे कि उसने अपने शासन काल में नौवें साल में विजित किया था |
पामीर के राजा जिसका नाम भारतीय शब्द उदयनाथ था, जिन्होंने प्रसिद्द फारसी शापुर को राजधानी सितेसिफोंन ( अल मदीन) कि सीमाओं तक खदेड़ा था, पत्नी जिनोबिया बहुत सुन्दर सहसी और महात्वाकांक्षी थी | उसने अपने आप को अपने पुत्र वाहब अल्लाह का प्रतिशासक घोषित करके अपने राज्य का योग्यता पूर्वक शासन किया तथा पामीर पर पुनर्विजय केलिए रोमनों के कई आक्रमणों को विफल किया, अपने आप को पूर्व कि रानी धोषित किया|
अरब कि रानियों में से सबसे अधिक प्रसिद्द सुनामिता कन्या थी| जिसकी सुंदरता ने बुद्धिमान सुलेमान को भी मोहित कर दिया था | सुलेमान को मुसलमान उस समय ईश्वर का पैगम्बर समझते थे | ऐसा विशवास है कि अरब के केदार कबीले से थी| उसे शारीरिक सौंदर्य को सुलेमान ने जो एक रसिक कवि भी था, सुरक्षित रखा| अरब कि इस सुंदरी बिल्किस को इतिहास में शीबा कि रानी के नाम से जाना जाता था| सुलेमान कि बुद्धिमत्ता कि सुनकर वह उसपर मोहित होगई थी और ढेरो उपहार लेकर उससे मिलाने के लिए यरूशलम तक गयी | भेंट वस्तुत: मादकता पूर्ण रही | बदले में बुद्धिमान सुलेमान ने शाही उपहारों के अतिरिक्त शीबा के रानी को जो कुछ भी उसने चाहा वाही उसने दिया | राजा सुलेमान ने अपने राजसी उदारता से बहुत कुछ दिया | तब वह अपने सेवको समेत अपने देश  को लौट गयी|
गाड के इस पैगम्बर को स्त्रियों के संग्रह कि अभिरुचि थी| उसने अपने हरम में अपनी ७०० पत्नियों के अतिरिक्त ३०० रखैल और जोड़ ली|
इतिहास इस तथ्य का साक्षी है कि शीबा कि रानी ने इस अवसर को कामुक उल्लास के रूप में मनाया| वह गर्भवती हुई तत्पश्चात एक पुत्र को जन्म दिया जो कि मैनेलिक द्वितीय के नाम से जाना गया : जिससे यहूदी के एक छोटे से अफ़्रीकी अबिले का जिसका नाम फलास था, प्रादुर्भाव हुआ, यह कबीला १८६७ ई० तक अज्ञात रहा था
उपर्युक्त वृतांत का यह दर्शाना है कि अरब कि स्त्री अपने पुरुषों की, पर्दों में रहने कि बंदिनी नहीं थी| यह परिस्थितिय इस्लाम ने स्त्रीत्व के प्रति छल करके पैदा की |

क्रमश: ......... ( अगले ब्लॉग में)      

इस्लाम में यौन मनोविज्ञान कि अवधारणा - 1

इस्लाम के संदेश को यदि ध्यानपूर्वक विशलेषण किया जाय तो यह विषय यौन-विज्ञान का नूतन सिद्धांत है जो कि दैहिक भोग और विवेकहीन हिंसा, इन दो स्तंभों पर आधारित है


यह सिद्धांत उस अल्लाह के नाम होता है जो सर्वाधिक दयालु और सर्वोत्तम निर्णायक होने का दावा करता है यद्यपि यह मजहब इन स्तंभों के बिना खड़ा नहीं हो सकता है, इन्हें बड़ी चतुराई से दैवीय आवरण में छिपा दिया गया है इस्लाम को बौद्धिक कि कसौटी पर कसते ही इसकी चमक-दमक समाप्त हो जाती है
इतिहाश साक्षी है कि मोहम्मद में जितना प्रभुत्व कि ललक थी उतनी और किसी भी व्यक्ति में नहीं थी यदि हम सम्पूर्ण मानव समाज को एक पिरामिड के रूप में देखे तो “अरबी पैगम्बर” को ही पायेंगे, उन्होंने मानव जाती के आचरण के लिए स्वयं को दैवीय मानव के रूप में प्रस्तुत किया, जिसका तात्पर्य यह है कि सभी को उसके अनुसार सोचना एवं अनुभव करना चाहिए, उसके अनुसार ही खाना-पीना चाहिए और सभी कानून जो उन्होंने अल्लाह के नाम पर बनाये है उनकी अपनी सुविधा के अनुकूल ही है
केवल अल्लाह में विश्वास ही का कोई महत्त्व नही है, इससे दैवीय कृपा और जन्नत तब तक नहीं मिलेगा जब तक मोहम्मद में विश्वास न व्यक्त किया जाय | वह एक ऐसे बिचौलिया है कि कयामत के दिन उसका शब्द ही इसका निर्णय करेगा कि कौन जन्नत में जायेगा और कौन दोखज में | इतना ही नहीं, अल्लाह और उसके फरिस्ते भी मुहम्मद के पूजा करते है
इसी से मोहम्मद कि प्रभुत्व कि ललक कि तीब्रता सिध्द होती है
यीशु मसीह भी यहोवा गाड कि पूजा करते हुए पाए गए थे “लेकिन अल्लाह और उसके फरिस्ते तो मोहम्मद कि पूजा करते है"
इस प्रकार कि स्थिति के जो कि मनुष्य और अल्लाह दोनों कि ही पकड़ से परे है, अर्जन के लिए धैर्य, आयोजन एवं शक्ति कि आवश्यकता है पैगम्बर को ये सभी मिले थे और उन्हें, इन सबको असामान्य सफलतापूर्वक संचालित करने कि योग्यता भी मिली थी
पैगम्बर ने यह सुनिश्चित कर लिया था कि उनका राष्ट्र एक अजेय सैन्य शक्ति बने ताकि एक ऐसी शक्तिशाली साम्राज्य बन जाए, जोकि उनकी व्यक्तिगत पवित्रता एवं शिक्षा कि पुनिताता पर टिका हो| यातना अत्याचार और उत्पीडन कि प्रचंड खुराक दे सकने में सिध्द एक अति शक्ति संपन्न एवं निडर सेना निर्माण द्वारा अरब साम्राज्य स्थापना के अपने उद्देश्य कि पूर्ति के लिए पैगम्बर ने पुरुषों को आकर्षित करने के हेतु कामोत्तेजना को सबसे आकर्षण बल के रूप में प्रयोग किया
तथापि यह समझ कर कि पुरुष सिर्फ शारीरिक भोग तक सिमित नहीं रहता, तो उन्होंने अपील के आकर्षण का क्षेत्र विस्तृत करके जिहाद का अन्वेषण किया जिससे पवित्र सैनिको (मुजाहिद) कि न सिर्फ स्त्री और लडको कि ही प्रभुत मात्र कि पूर्ति होती थी , बल्कि गैर मिस्लिमो को लुटाने और उनकी हत्या को भी क़ानूनी रूप दे दिया, जो इस प्रकार अल्लाह को प्रसन्न करने का एक सबसे अच्छा रास्ता बन गया
यह पैगम्बर की शतरंजी चाल थी जिसके द्वारा उनके अनुयायियों के मस्तिष्क एक जबरदस्त विश्वास हो गया कि लूटपाट, हत्या बलात्कार तथा वर्णनातीत दुःख दर्द फैलाना, बच्चो को अनाथ और स्त्रियों को बिधवा करना जिहाद ( पवित्र युध्द ) के रूप में इस्लाम का सर्वोच्च काम है जिसके द्वारा जन्नत के द्वार खुलने कि पूरी गारंटी है
माना कि मुहम्मद के पहले भी बड़े-बड़े विजेता हुए है परन्तु किसी ने भी इसे अतुअचारो कि पवित्रता का दर्जा नहीं दिया जिनके बदले में आशीष, मंगलकामनाए एवं आनंद मिले| मस्तिष्क की सफाई की यह शक्ति जो पैगम्बर मोहम्मद के पास थी, वह ना केवल भरी मात्रा में थी सदैव की रहने वाली थी क्योकि यह दोनों ही रूपों में चौदह शताब्दियान बीत जाने के बाद भी अभी भी उसी मजबूती से चल रही है




क्रमश: ........... अगले ब्लॉग में






स्रोत – इस्लाम : काम वासना और हिंसा ( अनवर शेख )

जिहाद के प्रलोभन: सेक्स और लुट – अनवर शेख (भाग –13)

भाग – १2 से आगे .......

अंत

जिहाद के प्रलोभन: सेक्स और लुट – अनवर शेख (भाग –12)

भाग – ११ से आगे .......

जिहाद के प्रलोभन: सेक्स और लुट – अनवर शेख (भाग –11)

भाग – 10से आगे .......

जिहाद के प्रलोभन: सेक्स और लुट – अनवर शेख (भाग –10)

भाग –9 से आगे .......

जिहाद के प्रलोभन: सेक्स और लुट – अनवर शेख (भाग –9)

भाग – 8 से आगे .......




भाग – 9 से आगे .......

जिहाद के प्रलोभन: सेक्स और लुट – अनवर शेख (भाग –8)

भाग – ७ से आगे .......




भाग –8 से आगे .......

जिहाद के प्रलोभन: सेक्स और लुट – अनवर शेख (भाग – 7)

भाग – 6 से आगे .......







































भाग –7 से आगे .......

जिहाद के प्रलोभन: सेक्स और लुट – अनवर शेख (भाग – 6)

भाग – 5 से आगे .......








































भाग – 6 से आगे .......

जिहाद के प्रलोभन: सेक्स और लुट – अनवर शेख (भाग – 5)

भाग – ४ से आगे .......





भाग – 5 से आगे .......

जिहाद के प्रलोभन: सेक्स और लुट – अनवर शेख (भाग – 4)

भाग – 3 से आगे .......









































भाग – ४ से आगे .......

जिहाद के प्रलोभन: सेक्स और लुट – अनवर शेख (भाग – 3)

भाग – २ से आगे .......









































भाग – 3 से आगे .......

जिहाद के प्रलोभन: सेक्स और लुट – अनवर शेख (भाग – २)

भाग – 1 से आगे .......

भाग – २ से आगे .......

जिहाद के प्रलोभन: सेक्स और लुट – अनवर शेख

(अनावर शेख द्वारा लिखित पुस्तक “जिहाद के प्रलोभन: सेक्स और लुट” के कुछ अंश )





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